जांच रिपोर्ट इंटेलीजेंस के एडीजी एसबी शिरडकर ने तैयार कर ली है। इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली लगने से मौत हो गई थी। एडीजी ने लोकल लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक अफसरों के बयानों को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की है। सूत्रों के अनुसार CM योगी आदित्यनाथ के लखनऊ पहुंचने के बाद डीजीपी खुद उन्हें यह रिपोर्ट सौंपेंगे।
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में जिले के पुलिस प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। रिपोर्ट में बोला गया है कि पुलिस गोकशी रोक पाने में नाकाम रही। इसमें इंस्पेक्टर स्याना सुबोध कुमार सिंह व ग्रामीण सुमित की मर्डर एक ही रिवाल्वर से होने की संभावना जताई गई है। साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि बुलंदशहर जिले में पहले कुल 14 बूचड़खाने चलते थे। अब केवल तीन बूचड़खाने ही चल रहे हैं, जो लाइसेंसी हैं।
हालांकि जिले की पुलिस गोकशी पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगा पा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि ग्रामीण इलाकों में झुंड में आवारा गोवंश के छुट्टा घूमते हैं व उनके लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। छुट्टा घूमते इन मवेशियों की सुरक्षा पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती और सिरदर्द बन गई है। इसके लिए पशुधन विभाग को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
इस बीच जांच रिपोर्ट में एक बात के लिए पुलिस प्रशासन की सराहना भी है। इसमें बोला गया है कि एक समुदाय विशेष के आयोजन (तब्लीगी इत्जमा) से लौट रही भीड़ को दूसरे रास्तों पर डायवर्ट करने का निर्णय सही व उचित समय पर उठाया गया। यह सटीक प्रशासनिक कदम था। इससे बड़ी घटना होने से टाली जा सकी। लेकिन सूत्रों के अनुसार शुरुआती जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आला अधिकारी मामले को गंभीरता से लेते, तो हिंसा को टाला जा सकता था।
रिपोर्ट के मुताबिक, आला अधिकारी हिंसा के समय मौके पर पहुंचे ही नहीं। इससे पहले, खुर्जा में भी गोहत्या की घटना हुई थी, तब भी आला अधिकारी मौके पर नहीं गए थे। हिंसा होते ही मेरठ जोन के अफसरों को भी अलर्ट हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। घटना की पहली सूचना प्रातः काल साढ़े 9 बजे आई थी, लेकिन आला अफसरों ने खुद न जाकर एसडीएम, सीओ और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को भेज दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, अफसरों को गोवंश के अवशेषों को ट्रॉली से चौकी ले जाने के बजाय तत्काल निस्तारण कराना था।इस दौरान, ड्राइवर ट्रॉली छोड़ ट्रैक्टर ले गया। इससे भावनाएं भड़कीं व हिंसा फैल गई।