साढ़े 4 सालों में योगी सरकार ने जितना बड़ा बवाल, उतना बड़ा मुआवजा दिया

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : उत्तर प्रदेश में मौत पर मुआवजे की नीति नई नहीं है। खासकर योगी सरकार साढ़े 4 साल के अपने कार्यकाल में इसको लेकर कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आई है। यूपी को हिला कर रखने वाली 5 बड़ी घटनाओं में 24 से 48 घंटे के अंदर ही मुआवजे की राशी व सरकारी नौकरी देकर पीड़ितों की जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया है। बड़ी बात यह भी है कि घटना के बाद बवाल जितना बड़ा होता है। मुआवजे की राशि भी उतनी ही बड़ी होती है।

यूपी की 5 बड़ी घटनों में समझें मुआवजे की राजनीति

लखीमपुर कांड में 4 किसानों समेत 8 लोगो की हुई थी मौत

1- लखीमपुर खीरी कांड

घटना – बीती 3 अक्टूबर की लखीमपुर हिंसा के 24 घंटे के अंदर ही सरकार ने किसान नेता राकेश टिकैत संग सहमति बना ली। जिसका आधार मुआवजे की राशि और सरकारी नौकरी रहा।मुआवजा- सरकार ने 4 मृतकों के परिवार वालों को 45-45 लाख और नौकरी देने का वादा किया। महज 48 घंटे के अंदर ही मुआवजे का चेक परिवार वालों को पहुंचा दिया गया।न्याय- मामले की जांच जारी है, एक तरफ SIT जांच कर रही है तो दूसरी तरफ न्यायिक जांच आयोग का भी गठन हो गया

 

गोरखपुर में मनीष की हुई थी हत्या।

2- गोरखपुर का मनीष गुप्ता हत्याकांड

घटना- 27 सितंबर को कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पुलिस की पिटाई की मौत हो गई। बवाल बढ़ा तो सीएम योगी पीड़ित परिवार से मिलने कानपुर पहुंचे। मामले में जांच के साथ ही परिवार को मुआवजे और नौकरी देने की घोषणा की।मुआवजा- पीड़ित परिवार को 40 लाख रुपए की आर्थिक सहायता व पत्नी मीनाक्षी को कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) में OSD पद पर सरकारी नौकरी।न्याय- मामले की जांच जारी है। आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई।

 

3- हिंदू नेता कमलेश तिवारी का मर्डर केस

घटना- 18 अक्टूबर 2019 को लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। जिसको लेकर पूरे देश में सियासत गरमा गई। लगातार योगी सरकार सवालों के घेरे में बनी रही।मुआवजा- सरकार ने कमलेश तिवारी के परिवार को 15 लाख रुपए नकद और सीतापुर में एक मकान देने की घोषणा की।न्याय- मामला कोर्ट में विचाराधीन है। आरोपी जेल में है।

 

4- सोनभद्र में 11 बच्चों का नरसंहार

घटना- साल 2019 में सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में एक नरसंहार हुआ। बताया जाता है कि ऐसी घटना यूपी में 30 से 40 साल बाद हुई थी। जहां 11 आदिवासियों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था।मुआवजा- मृतकों के परिवार को साढ़े 18 लाख रुपए और घायलों के परिजनों को ढाई लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की।न्याय- मामले में SIT का गठन हुआ था। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई भी हुई। कुछ गिरफ्तारी भी हुई।

 

29 सिंतबर 2018 को हुई थी विवेक तिवारी की हत्या।

लखनऊ का विवेक तिवारी हत्याकांड

घटना- योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के एक साल बाद ही 29 सितंबर 2018 को लखनऊ में एपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या कर दी गई। आरोप एक पुलिस कांस्टेबल प्रशांत चौधरी पर लगा। यह घटना आधी रात को घटी। सरकार पर सवाल उठे तो तुरंत ही मामले में मुआवजे और सरकारी नौकरी की घोषणा कर दी गई।मुआवजा- महज 4 दिन के अंदर ही सरकार ने पीड़ित परिवार को 40 लाख रुपए मुआवजा दिया। इसके साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से मृतक विवेक की पत्नी को लखनऊ निगम में नौकरी भी दी गई।न्याय- मामला फिलहाल कोर्ट में है। मुख्य आरोपी जेल में है।

 

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