शास्त्री जी ने पीएनबी से 5 हजार का कर्ज़ लेकर पहली बार खरीदी थी यह चीज़, सुनकर उड़ जाएंगे होश

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150वीं जन्म जयंती है। सारे देश में गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) को लेकर प्रोग्राम हो रहे हैं। आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी व हिंदुस्तान के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की भी जन्म जयंती है। लाल बहादुर शास्त्री की आज 116वीं जन्म जयंती है।

लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम सहयोग दिया व आजादी के बाद हिंदुस्तान के नीति निर्माताओं में से एक रहे। हिंदुस्तान के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में वो शामिल हुए। उन्होंने रेलवे व गृह जैसे बड़े व अहम मंत्रालय का प्रभार संभाला। जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद जून 1964 में लाल बहादुर शास्त्री पीएम बने।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। पहले उनका नाम लाल बहादुर वर्मा था। वाराणसी के काशी विद्यापीठ से ग्रैजुएशन करने के बाद उनके नाम में शास्त्री टाइटल जुड़ा।

जब शास्त्रीजी ने अपने बेटे का प्रमोशन रुकवाया

लाल बहादुर शास्त्री की वजह से हिंदुस्तान में सफेद व हरित क्रांति आई। वो हरित आंदोलन से इस कदर जुड़े हुए थे कि अपने आवास के लॉन में उन्होंने खेती-बाड़ी प्रारम्भ कर दी थी। वो देश के सामने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे। इसलिए वो किसानों को हरित क्रांति से जोड़ने के लिए खुद अपने लॉन में कृषि काम किया करते थे।

लाल बहादुर शास्त्री की विनम्रता के लोग कायल थे

लाल बहादुर शास्त्री अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में करप्शन से निपटने के लिए एक कमिटी बनाई थी। भ्रष्टाचार से जुड़े सवाल पर उन्होंने अपने बेटे तक को नहीं बख्शा। एक बार उन्हें पता चला कि उनके बेटे को गलत ढंग से प्रमोशन मिल रहा है। उन्होंने अपने बेटे की प्रमोशन रुकवा दी।

शास्त्रीजी की विनम्रता के कायल थे लोग

लाल बहादुर शास्त्री की विनम्रता के लोग कायल थे। उनके साथ प्रेस एडवाइजर के तौर पर कार्य करने वाले प्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने उनके बारे में एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। कुलदीप नैय्यर ने बताया कि शास्त्री जी इतने विनम्र थे कि जब भी उनके खाते में तनख्वाह आती, वो उन्हें लेकर गन्ने का जूस बेचने वाले के पास जाते। शास्त्री जी शान से कहते- आज जेब भरी हुई है। फिर दोनों गन्ने का जूस पीते।

शास्त्री जी अपनी तनख्वाह का अच्छा खासा भाग सामाजिक भलाई व गांधीवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में खर्च किया करते थे। इसलिए अक्सर उन्हें घर की जरूरतों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। घर का बजट बड़ा संतुलित रखना पड़ता था।

जब शास्त्रीजी ने पीएनबी बैंक से लिया कार लोन

शास्त्री जी के कर्ज़ लेकर कार खरीदने का किस्सा बड़ा प्रसिद्ध है। लाल बहादुर ईमानदारी व सादगीभरा ज़िंदगी व्यतीत करते थे। दूसरे सामाजिक कार्यों में पैसे खर्च करने के वजह से अक्सर उनके घर पैसों की किल्लत रहा करती थी। उनके पीएम बनने तक उनके पास खुद का घर तो क्या एक कार भी नहीं थी।

ऐसे में उनके बच्चे उन्हें कहते थे कि पीएम बनने के बाद आपके पास एक कार तो होनी चाहिए।
घरवालों के कहने पर शास्त्रीजी ने कार खरीदने की सोची। उन्होंने बैंक से अपने एकाउंट का डिटेल मंगवाया। पता चला कि उनके बैंक खाते में सिर्फ 7 हजार रुपए पड़े थे। उस वक्त कार की मूल्य 12000 रुपए थी।

कार खरीदने के लिए उन्होंने बिल्कुल आम लोगों की तरह पंजाब नेशनल बैंक से कर्ज़ लिया। 5 हजार का कर्ज़ लेते वक्त शास्त्रीजी ने बैंक से बोला कि जितनी सुविधा उन्हें मिल रही है उतनी आम नागरिक को भी मिलनी चाहिए।

हालांकि शास्त्रीजी कार का कर्ज़ चुका पाते उसके एक वर्ष पहले ही उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद पीएम बनी इंदिरा गांधी ने कर्ज़ माफ करने की पेशकश की। लेकिन शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री नहीं मानी व शास्त्री जी की मृत्यु के चार वर्ष बाद तक कार की ईएमआई देती रहीं। उन्होंने कार कर्ज़ का पूरा भुगतान किया।

बोला जाता है कि वो कार हमेशा लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ रही। शास्त्रीजी की कार अभी भी दिल्ली लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में रखी हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button